टीचर की भूमिका छात्रों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती है. वो उसके चरित्र निर्माण का काम करती हैं, उसे समाज में बेहतर इंसान बनाती हैं, इसलिए छात्र भी अपने गुरू को सबसे ऊपर और महत्वपूर्ण मानते हैं. पर जब टीचर ही छात्रों के जीवन की दुश्मन बन जाए और उनके साथ जानवरों से भी खराब सुलूक करें तो क्या होगा? बेशक बच्चों का कॉन्फिडेंस गिर जाएगा और वो स्कूल जाने से भी घबराएंगे. इन दिनों एक अमेरिकी स्कूल इसी तरह की कुछ महिला टीचरों की वजह से चर्चा में है. यहां कुछ टीचर्स (Teachers made student eat own vomit) ने मिलकर एक छात्र के साथ ऐसी घिनौनी करतूत की है कि उसके बारे में जानकर ही आपका खून खौल उठेगा.
अमेरिका (USA) के राज्य इंडियाना में एक शहर है ब्राउंसबर्ग (Brownsburg, Indiana). यहां के ब्राउन एलिमेंट्री स्कूल (Brown Elementary School) की 5 टीचरों पर बहुत ही घिनौने आरोप लगे हैं, जिसकी जांच चल रही है. इन टीचरों पर आरोप है कि इन्होंने एक 7 साल के बच्चे को सिर्फ मजे के लिए उसी की उल्टी खिला दी! ये मामला इसी साल फरवरी का है. डेली स्टार न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार स्कूल की 27 वर्षीय लाइफ स्किल टीचर सारा सेमूर पर इल्जाम है कि उसका एक 7 साल का छात्र बीमार हुआ तो उसने बच्चे से कहा कि अगर उसने उल्टी की, उसे उसे वो खानी पड़ेगी.
ब्राउन एलिमेंट्री स्कूल की ये घटना है. (फोटो: Google Maps)
5 टीचरों ने मिलकर किया दुराचार
अधिकारियों ने बताया कि एक और लाइफ स्किल टीचर, 48 साल की जूली टेलर ने बच्चे को एक ट्रे दी और उसपर उल्टी करने को कहा. तीसरी लाइफ स्किल टीचर, 63 साल की डेब्रा कैनिपे पर आरोप है कि उन्होंने बच्चे को एक चम्मच दिया जिससे उसे उल्टी को खाने के लिए कहा. इसके बाद उन लोगों ने बच्चे को जबरदस्ती गंदगी का कुछ हिस्सा खाने पर मजबूर किया. लाइफ स्किल इंस्ट्रक्शन एड, 38 साल की क्रिस्टेन मिशेल और बिहेवियरल टेक्नीशियन, 24 साल की मेगन किंग पर आरोप है कि वो भी इस घटना के दौरान वहीं पर थीं.
टीचरों को नौकरी से निकाला
जब बच्चे ने कुछ हिस्सा खा लिया तो उसे एक पेपर टावल दी गई जिससे वो खुद को साफ कर ले. पांचों टीचर्स पर आरोप है कि उन्होंने इस दुराचार की घटना की जानकारी नहीं दी जबकि सेमूर और कैनिपे पर आश्रित की उपेक्षा करने का आरोप है. पुलिस ने बताया कि सेमूर और कैनिपे को नौकरी से निकालने का प्रोसेस शुरू हो चुका था जबकि बाकी तीन टीचरों को BCSC स्कूल बोर्ड के निर्णयों के लंबित होने के कारण प्रशासनिक अवकाश पर भेज दिया गया है.